एसकेएमसीएच के एनआईसीयू में एक बच्चे को डॉक्टर ने दो बार दिया डेथ सर्टिफाइड रिपोर्ट
News Pratyaksh | Updated : Tue 26th Sep 2023, 05:07 pm
एसकेएमसीएच के एनआईसीयू में एक बच्चे को डॉक्टर ने दो बार दिया डेथ सर्टिफाइड रिपोर्ट :
एसकेएमसीएच में एक बार फिर डॉक्टरों की लापरवाही सामने आई है। एनआईसीयू में भर्ती एक नवजात की मौत के बाद दो अलग-अलग डॉक्टरों ने उसे दो बार अलग-अलग समय पर मृत घोषित किया है। मामला संज्ञान में आने के बाद एसकेएमसीएच में हड़कंप मचा हुआ है। मधुबनी जिला के सहारघाट गांव निवासी श्रीनारायण राउत ने चार दिन के नवजात को गंभीर हालत में एसकेएमसीएच के एनआईसीयू वार्ड में भर्ती कराया था। गंभीर हालत होने की वजह से चिकित्सकों ने उस नवजात शिशु को वेंटिलेटर पर रखकर इलाज शुरू कर दिया। रविवार की शाम 6:45 बजे एनआईसीयू के डॉ. विनय सागर ने इलाजरत उस बच्चे को मृत घोषित कर डेथ सर्टिफाइड करते हुए परिजनों को डेथ सर्टिफाइड रिपोर्ट दे दी। परिजन डेड बॉडी ले जाने के लिए शव वाहन की सुविधा लेने कंट्रोल रूम चले गये। परिजनों का कहना है कि वेलोग जैसे ही डेड बॉडी लाने वार्ड में पहुंचे तो बच्चे की सांस चलती हुई प्रतीत हो रही थी। परिजनों ने तुरंत इस बात की जानकारी नर्सिंग स्टाफ को दी। इसके बाद डाक्टर और नर्सिंग स्टाफ में हड़कंप मच गया। बच्चे को एनआईसीयू में दोबारा भर्ती किया गया। चार घंटे तक इलाज चला और फिर 10:50 में डॉक्टर ने फिर बच्चे को मृत घोषित कर दिया। डॉ. विनिता ने डेथ सर्टिफाइड की।मृतक बच्चे के पिता श्रीनारायण राउत का कहना है कि जब चिकित्सकों ने पहली बार उसके बेटा को मृत घोषित किया तो वह वेंटिलेटर पर था। डॉक्टर मृत घोषित करते वक्त वेंटिलेटर से हटाकर परिजन को बच्चा सौंप दिया था। वह शव वाहन लाने कंट्रोल रूम चले गये थे। 50 मिनट बाद वह शव वाहन लेकर पहुंचे। डेड बॉडी के लिए एनआईसीयू लाने गये तो बच्चे की सांस चल रही थी। हल्ला करने पर चिकित्सकों ने फिर बच्चे को डॉक्टरों ने भर्ती कर लिया। इस बीच 50 मिनट से अधिक समय तक उसका इलाज ठप रहा। अगर सही तरीके से जांच पड़ताल कर डॉक्टर बच्चे को डेथ सर्टिफाइड करते तो बच्चे की जान बच सकती थी।शिशु विभाग के विभागाध्यक्ष सह अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. गोपाल शंकर सहनी का कहना है कि दो बार डेथ सर्टिफाइड बनाना गलत है। डॉक्टर से पूछताछ की जाएगी। डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि वेंटिलेटर से हटने पर किसी -किसी केस में ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होती है। यह वैज्ञानिक तौर पर प्रूव्ड भी है।