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आखिरकार कांग्रेस पार्टी ने बिहार के प्रदेश अध्यक्ष को बदल दिया :

News Pratyaksh | Updated : Wed 19th Mar 2025, 01:19 pm


बिहार विधानसभा चुनाव के 7 माह पहले कांग्रेस आलाकमान ने कुटुम्बा के विधायक राजेश कुमार को बिहार प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाकर बड़ा दांव खेला है। पार्टी ने अखिलेश सिंह की छुट्टी करते हुए संभवतः पहली बार किसी दलित नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। राजनीतिक हलको में माना जा रहा है कि कांग्रेस ने दलित चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर लंबा गेम प्लान किया है।राजेश कुमार के पिता स्व. दिलकेश्वर राम कांग्रेस में जगजीवन राम के बाद दलित समाज के सर्वमान्य नेता रहे है। उनके सरल और मृदुल व्यवहार का हर कोई कायल रहा है। वे पार्टी में हर वर्ग के नेताओं खासकर पूर्व मुख्यमंत्री स्व. सत्येंद्र नारायण सिन्हा के सर्वाधिक प्रिय रहे हैं। राजेश और उनके पिता का चेहरा और कार्यशैली भी एक समान है। इस वजह से पार्टी में भी राजेश की छवि को दिलकेश्वर राम जैसा ही देखा जा रहा है। वैसे भी कांग्रेस आलाकमान बिहार विधानसभा चुनाव के पहले पुराने नेताओं के जगह पर नई पीढ़ी के उर्जावान नेताओं को प्रोमोट कर रही है। इसकी पहली झलक युवा तुर्क कन्हैया कुमार को प्रोमोट करने के लिए शुरु की गई रोजगार दो यात्रा में दिखी और यात्रा के शुरू होने के चंद दिन बाद ही पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष की कमान राजेश कुमार के हाथों में सौंप दी। जानकार बताते है कि राजेश कुमार और कन्हैया कुमार के बीच अच्छी ट्यूनिंग है। दोनों की अपनी जातीय समाज में भी अच्छी पकड़ है और दोनों की यह ट्यूनिंग दो बड़े वर्ग के वोटो को पार्टी से जोड़ने में सहायक हो सकती है। माना तो यह भी जा रहा है कि आने वाले दिनों में पार्टी को और अधिक़ मजबूती देने के लिए जमीनी पकड़ वाले सभी जाति-वर्ग के नेताओं खासकर युवाओं को प्रदेश संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेवारी दी जा सकती है। इस स्थिति में कांग्रेस यदि मजबूत होती है, तो निःसंदेह इसका चुनावी लाभ भी मिलेगा।कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग भी बिहार में गठबंधन से अलग रहकर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का पक्षधर रहा है। इस वर्ग का यह मानना रहा है कि गठबंधन में रहने से पार्टी को सीटों के मामले में लगातार समझौता करना पड़ा है। इससे पार्टी को नुकसान भी हुआ है। इनका मानना है कि पार्टी यदि स्वतंत्र होकर चुनाव लड़ते है तो नये लोगों को चुनाव लड़ने का मौका मिलेगी। पार्टी का संगठन मजबूत होगा और गठबंधन की मजबूरी खत्म होगी। इस स्थिति में पार्टी बिहार में सत्ता में आने लायक स्थिति में भी आ सकती है।