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केंद्र की मोदी सरकार ने नए संसद में महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया, जिसके बाद देश में राजनीतिक हलचल तेज!

News Pratyaksh | Updated : Wed 20th Sep 2023, 12:00 am
केंद्र की मोदी सरकार ने नए संसद में महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया, जिसके बाद देश में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है:
इस बिल को लेकर INDIA गठबंधन के सहयोगियों के भी अलग-अलग बयान आने लगे हैं लेकिन इसी बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला आरक्षण बिल का स्वागत कर महागठबंधन और INDIA में हलचल तेज कर दी है.दरअसल नीतीश कुमार ने X पर ट्वीट कर जो लिखा है वो बेहद महत्वपूर्ण है और माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने मोदी सरकार के फैसले का समर्थन कर बड़े राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है.नतीश कुमार ने लिखा है कि संसद में जो महिला आरक्षण बिल लाया गया है, वह स्वागत योग्य कदम है. हम शुरू से ही महिला सशक्तीकरण के हिमायती रहे हैं और बिहार में हम लोगों ने कई ऐतिहासिक कदम उठाये हैं. वर्ष 2006 से हमने पंचायती राज संस्थाओं और वर्ष 2007 से नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया.नीतीश कुमार ने आगे लिखा है कि वर्ष 2006 से ही प्रारंभिक शिक्षक नियोजन में महिलाओं को 50 प्रतिशत और वर्ष 2016 से सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. वर्ष 2013 से बिहार पुलिस में भी महिलाओं कोे 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है. आज बिहार पुलिस में महिला पुलिसकर्मियों की भागीदारी देश में सर्वाधिक है. बिहार में मेडिकल एवं इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के अन्तर्गत नामांकन में न्यूनतम 33 प्रतिशत सीटें छात्राओं के लिये आरक्षित की गयी हैं. ऐसा करने वाला बिहार देश का पहला राज्य है.नतीश कुमार ने लिखा है कि हमलोगों ने वर्ष 2006 में राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन के लिए परियोजना शुरू की जिसका नामकरण ‘‘जीविका‘‘ किया. बाद में तत्कालीन केन्द्र सरकार द्वारा इसकी तर्ज पर महिलाओं के लिए आजीविका कार्यक्रम चलाया गया. बिहार में अब तक 10 लाख 47 हजार स्वयं सहायता समूहों का गठन हो चुका है, जिसमें 1 करोड़ 30 लाख से भी अधिक महिलाएं जुड़कर जीविका दीदियां बन गयी हैं. नीतीश कुमार आगे लिखते है की हमारा मानना है कि संसद में महिला आरक्षण के दायरे में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की तरह पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिये भी आरक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिये.प्रस्तावित बिल में यह कहा गया है कि पहले जनगणना होगी तथा उसके पश्चात निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन होगा तथा इसके बाद ही इस प्रस्तावित बिल के प्रावधान लागू होंगे। इसके लिए जनगणना का काम शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए. नीतीश कुमार केंद्र से आग्रह करते भी दिखे कि जनगणना तो वर्ष 2021 में ही हो जानी चाहिए थी परन्तु यह अभी तक नहीं हो सकी है. जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी करानी चाहिए तभी इसका सही फायदा महिलाओं को मिलेगा.यदि जातिगत जनगणना हुई होती तो पिछड़े एवं अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था को तुरंत लागू किया जा सकता था, वहीं महिला आरक्षण को लेकर आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा का मानना है कि एससी-एसटी के साथ ओबीसी महिलाओं को भी आरक्षण मिले, कोटा विदिन कोटा में समायोजन नहीं होगा तो सारी बातें बेमानी होगी 2029 में होगा या 2034 में होगा कुछ भी क्लियर नहीं है.