पेसा नियमावली का मामला अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई : झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने आदेश के अनुपालन के लिए अतिरिक्त आठ सप्ताह का समय देने का आग्रह करते हुए इंटर लोकेटरी याचिका फाइल की है. दरअसल झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद पेसा नियमावली फाइनल नहीं करने के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई.अवमानना याचिका दायर करने वाली संस्था आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के राष्ट्रीय संयोजक विक्टर कुमार मालतो ने ईटीवी भारत को बताया कि पेसा नियमावली बनाने के लिए हाईकोर्ट की ओर से 29 जुलाई 2024 को आदेश जारी हुआ था. हाईकोर्ट ने आदेश की कॉपी मिलने के दो माह के भीतर नियमावली फाइनल करने को कहा था. लेकिन सरकार किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है. लिहाजा आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने अवमानना याचिका दायर की.उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने 29 जुलाई 2024 के आदेश के पैरा 12 में लिखा था कि झारखंड के स्थापना के पहले ही संसदीय अधिनियम पेसा, 1996 अस्तित्व में था. लेकिन 15 नवंबर 2000 को झारखंड बनने के बाद पंचायती राज अधिनियम, 2001 को अस्तित्व में लाया गया, जिसे संसदीय अधिनियम 1996 के प्रावधानों के सुसंगत नहीं कहा जा सकता है. यही कारण है कि याचिकाकर्ता ने प्रो-बोनो-पब्लिको के माध्यम से याचिका दाखिल की थी.राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया है कि विधानसभा चुनाव कैबिनेट से स्वीकृति, महाधिवक्ता से विधिक सलाह और विभागीय प्रक्रिया पूरी नहीं होने की वजह से तय समय के भीतर नियमावली के बाबत आदेश का अनुपालन नहीं हो पाया है.
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