माननीयों की नजर में कैसा रहा बजट सत्र : षष्ठम झारखंड विधानसभा के प्रथम बजट सत्र के समापन पर सत्ता और विपक्षी दलों के विधायकों और मंत्रियों ने अपनी अपनी बात मीडिया के सामने रखी. सत्ताधारी और उसकी सहयोगी दलों के विधायकों ने 20 कार्य दिवस वाले बजट सत्र को बेहद उपयोगी और जनहित के लिए महत्वपूर्ण करार दिया. वहीं विपक्षी दलों के विधायकों ने बजट सत्र को पूरी तरह फेल करार देते हुए कहा कि बजट सत्र के दौरान गांव, किसान और आम जन के हितों की बात नहीं हुई.बजट सत्र के समापन पर गढ़वा से बीजेपी विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने कहा कि सरकार जवाब देने से पूरे सत्र में बचती दिखी. हम बात 2014 में गढ़वा में हेमन्त सोरेन द्वारा शिलान्यास किये गए पावर प्लांट के शिलान्यास का किया तो उल्टे हमसे पूछा जाने लगा कि स्मार्ट सिटी का क्या हुआ? क्या यही करने के लिए सदन में आये हैं. उन्होंने कहा कि बजट सत्र 100% फेल रहा. गांव, किसान और जनहित की बात नहीं हुई है, सदस्यों के सवाल पर मंत्री हंसते हुए नजर आए. बीजेपी विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि जब सदन की कार्यवाही चलती है तो बेलगाम अफसर पर नकेल कसता है, मंत्रियों के वक्तव्य का पालन होना चाहिए.विधानसभा में सरकार की सहयोगी पार्टी सीपीआई माले के विधायक अरूप चटर्जी ने कहा कि बजट सत्र बेहद उपयोगी रहा है. जनता और जनहित के मुद्दे पर सरकार की ओर से सकारात्मक जवाब मिला है. आश्वासन समिति के अध्यक्ष होने के नाते अब उनका भी फर्ज बनता है कि सदन में दिए गए आश्वासन पर काम होना चाहिए.बजट सत्र के समापन पर झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के विधायक जयराम महतो ने कहा कि मंईयां सम्मान के अलावा कोई बात नहीं हुई है. हर सवाल और मुद्दे पर केंद्र की सरकार पर ठीकरा फोड़ते सरकार नजर आई. सरकार की कथनी और करनी में फर्क उजागर हुआ और उसकी कार्यशैली फीकी रही.बजट सत्र को बेहद उपयोगी बताते हुए मंत्री हफीजुल हसन अंसारी ने कहा कि विपक्ष की ओर से भी पहले की तरह बार बार वॉकआउट नहीं करने से प्रायः सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण तरीके से चली और जनहित के बहुत से कामों पर चर्चा हुई.मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि सत्र जनता के लिए बेहद उपयोगी रहा और इस दौरान विपक्ष पूरी तरह से हतोत्साहित रहा. मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि विपक्ष का आत्मबल टूटा हुआ है. इसलिए मुख्यमंत्री के संबोधन के दौरान भी वह सदन से नदारद दिखे. मंत्री ने कहा कि विपक्ष समझ चुका है कि 2039 तक वह सत्ता में नहीं आने वाले है. उन्होंने कहा कि परिसीमन पर नीतिगत फैसला होगा.
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