दो पूर्व सीएम के सोशल मीडिया पर लिखे पोस्ट से पॉलिटिकल पारा हाई : झारखंड की राजनीति के दो बड़े दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी और चंपाई सोरेन ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर कल दो पोस्ट किया था, जिसमें पाकुड़ जिले में रामनवमी को लेकर प्रशासन द्वारा जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दिए जाने का मुद्दा उठाया था.चंपाई सोरेन ने अपने पोस्ट में लिखा कि क्या सरकार यह बताना चाहती है कि जहां हिन्दू अल्पसंख्यक होंगे, वहां उसकी धार्मिक/संवैधानिक आजादी ऐसे ही छीन ली जाएगी? वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने ग्रामीणों द्वारा रामनवमी जुलूस निकालने पर रोक लगा देने को हिन्दू आस्था पर हमला बताते हुए लिखा कि सरकार पाकुड़ को ग्रेटर बांग्लादेश बनाने पर तुली हुई है. भाजपा के दोनों बड़े नेताओं के बयान के बाद राजनीति में बयानों का दौर शुरू हो गया है.कांग्रेस विधायक दल के उपनेता राजेश कच्छप ने कहा कि भाजपा में जाने के बाद चम्पाई सोरेन ऐसे ही बयान देते हैं. अपनी राजनीति की वह अंतिम पारी खेल रहे हैं. हमलोग चाहते हैं कि वह भाजपा से निकले तो उन्हें राज्यसभा भेज दें.भाजपा वाले हिन्दू मुसलमान से बाहर निकल ही नहीं सकते. धार्मिक पूजा पाठ पर कहीं रोक नहीं है.
बाबूलाल मरांडी और भाजपा के नेताओं को हवाबाज बताते हुए राजेश कच्छप ने कहा कि बाबूलाल मरांडी को प्रमाणों के साथ आरोप लगाना चाहिए. हम सब सिया और राम बोलने वाले लोग हैं.झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि इन लोगों से और अपेक्षा ही क्या की जा सकती है? सनातनियों पर ही बंदिशें लगाई जाती है. सरकार में होने का नाजायज फायदा उठाने का आरोप लगाते हुए सीपी सिंह ने कहा कि पाकुड़ में रामनवमी का जुलूस निकालने की अनुमति क्यों नहीं दी गयी. उन्होंने कहा कि तुष्टीकरण के लिए कितना नीचे गिरियेगा? एक समय आएगा कि आप भी पछताएंगे.भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि पाकुड़ में जब तजिया निकल सकता है, तो फिर रामनवमी का जुलूस क्यों नहीं? सरकार ने आज रामनवमी पर रोक लगाई है, कल दीपावली और दुर्गा पूजा पर भी इसी तरह तुगलकी फरमान जारी होंगे.ऐसा लगता है कि हेमंत सरकार ने कट्टरपंथियों के दबाव में पाकुड़ को अघोषित रूप से ग्रेटर बांग्लादेश बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. जबकि बाबूलाल मरांडी ने अपने ताजा पोस्ट में रामनवमी के दौरान विधि व्यवस्था बनाये रखने के लिए मुख्यमंत्री के अधिकारियों के साथ बैठक के बात दिए गए निर्देश में "दहशतगर्त" शब्द के इस्तेमाल पर भी आपत्ति जताई है.
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