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सुप्रीम कोर्ट ने जातीय गणना के आंकड़े प्रकाशित करने पर किसी प्रकार की रोक लगाने से इनकार किया है : सुशील मोदी

News Pratyaksh | Updated : Sat 07th Oct 2023, 12:04 pm
सुशील मोदी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने जातीय गणना के आंकड़े प्रकाशित करने पर किसी प्रकार की रोक लगाने से इनकार किया है : बिहार में जातीय जनगणना के और आंकड़े प्रकाशित करने के नीतीश सरकार के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से मना कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि वह राज्य सरकार को कोई नीतिगत निर्णय लेने से नहीं रोक सकता. सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं की उस आपत्ति को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया कि राज्य सरकार ने कुछ आंकड़े प्रकाशित कर स्थगन आदेश की अवहेलना की. इसपर बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जातीय गणना पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का स्वागत करते हैं. लेकिन भाजपा नेता ने बिहार सरकार पर पक्षपाती रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए सवाल उठाए हैं.सुशील मोदी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने जातीय गणना के आंकड़े प्रकाशित करने पर किसी प्रकार की रोक लगाने से इनकार किया है, ऐसे में अब कोर्ट की कोई भूमिका नहीं बची है. लेकिन, जो आंकड़े सार्वजनिक किए गए दो-तीन जातियों को छोड़कर अधिकांश जातियां ठगी हुई महसूस कर रही हैं. लग रहा है उनके साथ धोखाधड़ी हुई है. साजिश के तहत उनकी संख्या कम कर दिखाया गया है. सुशील मोदी ने कहा कि अब तो जदयू के सांसद सुनील कुमार पिंटू ने सवाल उठा दिया है और 8 अक्टूबर को तेली-साहू समाज की बैठक बुलाई है.भाजपा सांसद ने कहा, सत्ता से जुड़ी हुई जातियों की संख्या बढ़ा चढ़ा कर दिखाई गई है और बाकी जातियों को उपजातियों में तोड़ दिया गया है. लगता है कहीं बैठकर फॉर्म भर दिया गया है. सुशील मोदी ने कहा कि कई जातियां सर्वे से ठगा महसूस कर रहीं हैं ऐसे में राज्य सरकार इसकी समीक्षा कराए. सुशील मोदी ने कहा कि वैश्य, निषाद सहित कई जातियों को उपजातियों में बांटकर दिखाया गया है और सत्ता समर्थक खास जातियों के आंकड़े बढ़ा चढ़ाकर पेश किए गए हैं. जातीय गणना सर्वे पर कोई कानूनी मुद्दा नहीं, बल्कि विश्वसनीयता पर संदेह है.सुशील मोदी ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और जदयू के एक सांसद सहित अनेक लोग जब सर्वे के आंकड़ों को विश्वसनीय नहीं मान रहे हैं, तब सर्वे प्रक्रिया की समीक्षा करायी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार में जातीय सर्वे कराने के सरकार के नीतिगत निर्णय पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगने के बाद अब कानूनी रूप से सर्वे को लेकर कोई कानूनी मुद्दा नहीं है. लेकिन, दूसरी तरफ सर्वे की विश्वसनीयता जनता का मुद्दा बन गया है. ऐसी शिकायतें मिलीं कि प्रगणकों ने अनेक इलाकों के आंकड़े घर बैठे तैयार कर लिए.सुशील मोदी ने कहा कि वैश्य, निषाद जैसी कुछ जातियों के आंकड़े 8-10 उपजातियों में तोड़ कर दिखाए गए, ताकि उन्हें अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास नहीं हो. मोदी ने सवाल पूछा कि आखिर यह यह किसके इशारे पर हुआ ? मोदी ने कहा कि राज्य में वैश्य समाज की आबादी 9.5 प्रतिशत से अधिक है, लेकिन यह सर्वे में दर्ज नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि जिस जाति-धर्म के लोग वर्तमान सत्ता के साथ हैं, उनकी संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए उपजातियों के आंकड़े छिपाए गए. ऐसे में जातीय सर्वे पर जो संदेह-सवाल उठ रहे हैं, उनका उत्तर राज्य सरकार को देना चाहिए, पार्टी प्रवक्ताओं को नहीं. #newspratyaksh #Bihar #SupremeCourt #castcensusbihar #SushilModi  

सोरेन की केंद्र से मांग : खनन कंपनियों से झारखंड का बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये दिलाए जाएं

News Pratyaksh | Updated : Sat 07th Oct 2023, 11:51 am
सोरेन की केंद्र से मांग : खनन कंपनियों से झारखंड का बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये दिलाए जाएं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को केंद्र से मांग की कि वह केंद्र के स्वामित्व वाली खनन कंपनियों से झारखंड की 1.36 लाख करोड़ रुपये की बकाया राशि दिलाने में मदद करे । एक आधिकारिक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई।विज्ञप्ति के मुताबिक मुख्यमंत्री ने केंद्र से ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ को लागू करने में भी मदद का आग्रह किया ताकि अर्हता रखने वाले करीब आठ लाख ग्रामीणों को इसका लाभ दिया जा सके।नयी दिल्ली में वामपंथी उग्रवाद के मुद्दे पर आयोजित बैठक में सोरेन ने समस्या से निपटने के लिए अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती को बनाए रखने की भी वकालत की।मुख्यमंत्री ने केंद्र का ध्यान कर्ज देने में बैंकों के कथित असहयोगात्मक रवैये की ओर भी दिलाया। उन्होंने कहा कि यह समस्या राज्य में ऋण जमा अनुपात से भी प्रतिबिंबित होती है जो राष्ट्रीय औसत के 67 प्रतिशत के मुकाबले महज 45 प्रतिशत है।सोरेन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘केंद्र के स्वामित्व वाली खनन कंपनियों पर झारखंड का 1.36 लाख करोड़ रुपये का बकाया है जो वे नहीं दे रही हैं। मैं श्री अमित शाह से अनुरोध करता हूं कि वह वित्त मंत्रालय को यथाशीघ्र यह देनदारी चुकाने का निर्देश दें।’’ #newspratyaksh #Jharkhand #HemantSoren  

जमीन घोटाला मामले में पूछताछ के लिए ईडी के पांच समन के बावजूद उपस्थित नहीं होने वाले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की रिट पिटिशन पर झारखंड हाईकोर्ट में आज अहम सुनवाई होगी।

News Pratyaksh | Updated : Fri 06th Oct 2023, 04:00 pm
जमीन घोटाला मामले में पूछताछ के लिए ईडी के पांच समन के बावजूद उपस्थित नहीं होने वाले झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की रिट पिटिशन पर झारखंड हाईकोर्ट में आज अहम सुनवाई होगी। सोरेन के अधिवक्ता पीयूष चित्रेश द्वारा मामले को मेंशन किए जाने के बाद उनके आग्रह को स्वीकार करते हुए चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने सुनवाई की तारीख तय की है। सोरेन की याचिका में ईडी की ओर से जारी समन को कानून के खिलाफ बताया गया है। वहीं, पीएमएलए एक्ट की विभिन्न धाराओं की वैधता को भी चुनौती दी गयी है। गौरतलब है कि जमीन के कागजात में हेराफेरी और खरीद-बिक्री में हेराफेरी के कारण रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन, जमीन कारोबारी विष्णु अग्रवाल और अमित अग्रवाल समेत कई आरोपी जेल में हैं। इसी के बाद ईडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को समन दर समन जारी कर पूछताछ के लिए ईडी के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट रोड स्थित कार्यालय में बुलाया था, लेकिन मुख्यमंत्री किसी भी तारीख पर उपस्थित नहीं हुए। #newspratyaksh #Jharkhand #HemantSoren