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झारखंड में ईसाई मिशनरियों द्वारा किये जा रहे धर्मांतरण पर झामुमो नीत गठबंधन सरकार चुप: हिमंत

News Pratyaksh | Updated : Thu 23rd May 2024, 12:28 pm
झारखंड में ईसाई मिशनरियों द्वारा किये जा रहे धर्मांतरण पर झामुमो नीत गठबंधन सरकार चुप: हिमंतअसम के मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता हिमंत विश्व शर्मा ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की अगुवाई वाले सत्तारूढ़ गठबंधन पर बुधवार को राज्य में ईसाई मिशनरियों द्वारा कथित रूप से कराये जा रहे धर्मांतरण पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया। उन्होंने राज्य सरकार पर हिंदू अधिकारों की रक्षा के लिए कुछ नहीं करने का भी आरोप लगाया। शर्मा ने बोकारो में एक चुनाव रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘झारखंड में ईसाई मिशनरी धर्मांतरण को लेकर सक्रिय हैं लेकिन वर्तमान सरकार इस पर चुप है। यह सरकार हिंदू अधिकारों की रक्षा करने में विफल रही है।’

सांसद जयंत सिन्हा ने पार्टी की तरफ से जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया:

News Pratyaksh | Updated : Thu 23rd May 2024, 12:27 pm
झारखंड की हजारीबाग सीट से बीजेपी के निवर्तमान सांसद जयंत सिन्हा ने पार्टी की तरफ से जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया है. उन्होंने दो पन्नों की चिट्ठी सोशल मीडिया पर शेयर की है. इसमें उन्होंने कहा है कि वो पार्टी के लिए काम करते रहेंगे. साथ ही जयंत सिन्हा ने वोट नहीं करने के आरोपों पर कहा कि उन्होंने पोस्टल बैलट से वोट किया था.जयंत सिन्हा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल 'एक्स' पर लिखा, "बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ हुई बातचीत को मैं बताना चाहता हूं. मार्च 2024 में लोकसभा चुनाव से काफी समय पहले ही मैंने सक्रिय चुनावी दायित्वों में भाग न लेने का फैसला लिया था, जिससे मैं वैश्विक जलवायु परिवर्तन से उभरे मुद्दों पर काम कर सकूं. इस फैसले का एलान मैंने एक सोसल मीडिया पर किया था."बीजेपी सांसद ने आगे लिखा, "इसके साथ ही मैं पार्टी के साथ काम करता रहूंगा. मुझे पिछले 10 सालों से भारत और हजारीबाग के लोगों की सेवा करने का मौका मिला. इसके आलावा मुझे पीएम नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और पार्टी नेतृत्व की ओर से दिए गए कई जिम्मेदारियों को पूरा करने का मौका मिला. इसके लिए मैंने शीर्ष नेतृत्व का धन्यवाद किया है."श्री आदित्य साहू जी द्वारा 20 मई, 2024 को भेजे गए पत्र के संबंध में मेरी प्रतिक्रिया।जयंत सिन्हा ने लिखा, "मैंने जब चुनाव में भाग न लेने की घोषणा की तो उसके बाद हजारीबाग लोकसभा के हजारों मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया आई. कई लोग दिल्ली में मुझसे मिलने आए और कहा कि मैं अपने फैसले पर विचार करूं. साथ ही लोकसभा चुनाव में अपनी उम्मीदवारी जारी रखूं. यह कठिन समय था, जिसमें लोगों की जनभावनाएं थी, लेकिन मैंने राजनीतिक मर्यादा और संयम बनाए रखा." बीजेपी नेता ने अपने जवाब में लिखा, "पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए मनीष जायसवाल को अपना उम्मीदवार घोषित किया. मैंने 8 मार्च 2024 को उन्हें बधाई दी, जो मेरे स्पष्ट समर्थन का ही सबूत था. यह सब सोशल मीडिया पर है, जो पार्टी के फैसले के प्रति मेरे समर्थन को भी दिखाता है. इस बीच अगर पार्टी चाहती थी कि मैं चुनावी गतिविधियों में भाग लूं, तो आप मुझसे संपर्क कर सकते थे. हालांकि, 2 मार्च 2024 को मेरी घोषणा के बाद झारखंड के किसी भी वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारी या सांसद/विधायक ने मुझसे संपर्क नहीं किया." जयंत सिन्हा ने आगे कहा, "मुझे किसी भी पार्टी कार्यक्रम, रैली या संगठनात्मक बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया गया. यदि बाबूलाल मरांडी जी मुझे कार्यक्रमों में शामिल करना चाहते थे, तो वो निश्चित रूप से मुझे आमंत्रित कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. 29 अप्रैल 2024 की शाम को मेरे दिल्ली में रहने के दौरान मनीष जायसवाल की ओर से मुझे उनके नामाकन रैली में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया. देर से सूचित करने के कारण मेरे लिए 1 मई 2024 की सुबह तक हजारीबाग पहुंचना संभव नहीं था."

कल्पना सोरेन ने झारखंड वासियों को लिखा भावुक पत्र, कहा- मुझे राजनीति में आने का नहीं था शौक :

News Pratyaksh | Updated : Thu 23rd May 2024, 12:25 pm
झारखंड में हेमंत सोरेन के बाद सोरेन परिवार में ऐसा क्या था जिसके चलते कल्पना मुर्मू सोरेन को राजनीतिक में आने के लिए विवश होना पड़ा. कल्पना ने इसको लेकर झारखंड के लोगों के नाम नाम भावुक लेटर लिखा है.। इस लेटर को उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है. इस पोस्ट में कल्पना ने जहां राजनीति को अपनी मजबूरी बताया वहीं हेमंत सोरेन के झारखंड के लिए योगदान को याद किया और अपने लिये ताकत व ऊर्जा का स्रोत बताया. इस पत्र में कल्पना ने केंद्र सरकार को तानाशाह करार दिया और अपनी नई पारी में भी बेहतर करने की उम्मीद जताई.कल्पना सोरेन ने लिखा है, राजनीति, दल, सरकार सब आपकी (हेमंत सोरेन) की जिम्मेदारी रही. मैं घर, बच्चे, आदरणीय बाबा, मां और परिवार के देखभाल में खुश थी. ना मुझे कभी राजनीति में आने को शौक था, ना ही मैंने कभी सोचा था कि मुझे यह करना है, पर तानाशाहों ने 31 जनवरी को हमारी जिंदगी बदल दी. आपके साथ ही मेरी आत्मा को भी चारदीवारी में कैद कर लिया.कल्पना सोरेन ने आगे लिखा, आज जब जनता से मुझे एक नई पारी की शुरुआत का आशीर्वाद मिल रहा है तो आपकी कमी सबसे ज्यादा खल रही है. एक नई पारी के रूप में शुरुआत पर मैं इतना ही कह सकती हूं कि मैं आपके संघर्ष और अपने झारखंड परिवार के सुख-दुख में सदैव मजबूती से खड़ी रहूंगी. झारखंड झुकेगा नहीं, INDIA रुकेगा नहीं.