Jharkhand


विभिन्न कारणों से हजारों महिलाओं के नाम भी लाभुक की सूची से हटा दिए गए :

News Pratyaksh | Updated : Fri 21st Mar 2025, 08:40 am
मंईयां सम्मान योजना की 3 किस्तें (7500 रुपए) एक साथ पाकर महिलाओं के चेहरे खिल उठे हैं. एक ओर 38 लाख महिलाएं खुशी से झूम रहीं हैं, तो बाकी महिलाएं मंईयां सम्मान का पैसा नहीं मिलने से निराश हैं. चिंतित भी हैं. पैसे अकाउंट में न आने की वजह जानने और समाधान पाने के लिए महिलाएं ब्लॉक के चक्कर काट रहीं हैं. विभिन्न कारणों से हजारों महिलाओं के नाम भी लाभुक की सूची से हटायें जा रहें है. ऐसे में आपकी एक छोटी से चूक आपको मिलने वाले 2500 रुपए से वंचित कर सकती है.विभाग ने 3 माह के 7500 रुपए डीबीटी के माध्यम से लाभुकों के खाते में भेज दिये हैं. बड़ी संख्या में ऐसी भी लाभुक हैं, जिन्होंने केवाईसी नहीं करवाया है, उनके अकाउंट में पैसे नहीं पहुंचे हैं. सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड का बैंक अकाउंट से लिंक होना भी जरूरी होता है. इसलिए बैंक जाकर पता कर लें कि आपका अकाउंट आधार से लिंक है या नहींमंईयां सम्मान योजना के लिए आये आवेदनों की विभिन्न जिलों में चरणबद्ध तरीके से सत्यापन की प्रक्रिया चल रही है. सत्यापन के दौरान अगर किसी प्रकार की कोई त्रुटि मिलती है, तो उसे पेंडिंग लिस्ट में डाल दिया जा रहा है. वैसी महिलाओं के भी नाम इस लिस्ट से हटाये जा रहे हैं, जो इस योजना का लाभ पाने की योग्य नहीं हैं. अगर आप योजना का लाभ लेने के योग्य हैं और आपके आवेदन में भी कोई त्रुटि नहीं है, फिर भी आपका नाम लिस्ट से हटा दिया गया है, तो आप हेल्पलाइन नंबर (1800-890-0215) पर कॉल करके या प्रखंड कार्यालय में जाकर इसकी शिकायत कर सकतीं हैं. जांच के बाद अगर आपका दावा सही रहा, तो आपके बैंक अकाउंट में पैसे आने लगेंगे.

जामताड़ा में मौसम का मिजाज बदला :

News Pratyaksh | Updated : Thu 20th Mar 2025, 05:44 am
जामताड़ा में मौसम का मिजाज बदला : यहां जामताड़ा में अचानक मौसम ने करवट ली है, सुबह से ही गरज के साथ हल्की बारिश हो रही है. सुहाने मौसम के साथ वातावरण भी ठंडा हो गया है. जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है देश के अन्य भागों में इसका असर देखने को मिल रहा है. मगर झारखंड में मौसम सुहाना हो गया है.जामताड़ा के मौसम का मिजाज अचानक बदल गया है. रात तक मौसम जो सूखा था और गर्मी थी, सुबह होते ही अचानक मौसम का मिजाज बदल गया. सुबह से ही गरज के साथ हल्की बारिश भी शुरू हो गई. सुबह-सुबह मॉर्निंग वॉक करने वाले, स्कूल जाने वाले छोटे-छोटे बच्चों को परेशानी जरूर उठानी पड़ी. लेकिन मौसम के मिजाज बदलने से वातावरण सुहाना हो गया और जो तेज धूप थी उससे लोगों को राहत मिली.मार्च के महीने में ही तापमान काफी बढ़ गया और तेज धूप से धरती भी तपने लगी थी. अधिक गर्मी से लोगों को काफी परेशानी भी हो रही थी कि अचानक मौसम के मिजाज बदलने से वातावरण में नमी आई है. बताया जाता है कि जामताड़ा का अधिकतम तापमान 35 डिग्री चला गया था जो कि लोगों के लिये चिंता का विषय था, फिलहाल मौसम में आई तबदीली से लोग काफी राहत महसूस कर रहे हैं.

हजारीबाग को क्यों हासिल है मिनी अयोध्या का दर्जा :

News Pratyaksh | Updated : Wed 19th Mar 2025, 12:42 pm
हजारीबाग को क्यों हासिल है मिनी अयोध्या का दर्जा : वैसे तो रामनवमी देश में एक साथ मनाई जाती है लेकिन हजारीबाग की रामनवमी का आगाज एक महीने पहले से शुरू हो जाता है. इसकी समृद्धता और भव्यता के कारण इस रामनवमी को इंटरनेशनल रामनवमी के भी नाम से जाना जाता है. होली के बाद से ही रामनवमी रंग में रंगने लगा है. हजारीबाग रामनवमी का इतिहास 100 सालों से अधिक पुराना है. होली के बाद आने वाले पहले मंगलवार को मंगला जुलूस निकालने की परंपरा रही है.मंगल को जन्मे, मंगल ही करते, मंगलमय हनुमान इसी मंगल कामना के साथ हजारीबाग शहर समेत जिलेभर में मंगलवार की देर शाम रामनवमी का पहला मंगला जुलूस गाजेबाजे के साथ निकाला गया. मंगला जुलूस के साथ ही हजारीबाग में रामनवमी महापर्व का आगाज भी हो गया. लगभग 1 दर्जन से अधिक विभिन्न अखाड़ों का जुलूस सड़कों पर निकला, जो अलग अलग मार्गो से होते हुए महावीर स्थान पर पहुंचा. जिसके बाद मंदिरों में पूजा अर्चना की गई. इस दौरान राम भक्तों का जन सैलाब सड़कों पर देखने को मिला. शक्ति प्रदर्शन करते हुए राम भक्त नाचते गाते सड़कों पर दिखे, इस दौरान जुलूस के दौरान सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए थे.स्थानीय युवा रुद्र राज बताते हैं कि होली के बाद पड़ने वाले पहले मंगलवार से ही मंगला जुलूस निकालने की परंपरा रही है. साल 1955 से मंगला जुलूस हजारीबाग में निकाला जाता रहा है. रामनवमी तक प्रत्येक मंगलवार को विभिन्न अखाड़े पूरे उत्साह के साथ मंगला जुलूस निकालते हैं. सिर्फ शहरी नहीं हजारीबाग जिले के ग्रामीण इलाकों में भी मंगलवार को मंगला जुलूस निकालने कि परंपरा रही है.मंगला जुलूस की भव्यता देखने लायक होती है. शहर के दर्जनों अखाड़े और हजारों राम भक्त सड़कों पर राम उत्सव की तैयारी मनाने के लिए निकलते हैं. अखाड़े के विशाल वाल्मीकि भी कहते हैं कि हजारीबाग की एक पहचान इसके रामनवमी से है. नई पीढ़ी के लोग भी इसे जुड़ रहे हैं. उन्होंने लोगों से भी अपील की थी रामनवमी में राम भक्तों को नशा मुक्ति रामनवमी मानना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने सरकार से मांग की है रामनवमी जुलूस को राजकीय महोत्सव का भी दर्जा दिया जाए, रामनवमी के दिन राम भक्तों पर पुष्प वर्षा भी की जाती है.हजारीबाग की रामनवमी आस्था, परंपरा और भव्यता का प्रतीक है. मंगला जुलूस के साथ इसकी शुरुआत होती है, जो भक्तों के उत्साह को बढ़ाता है. यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करता है, बल्कि सामाजिक एकता का भी संदेश देता है. जैसे-जैसे रामनवमी निकट आता है, भक्ति और उल्लास चरम पर पहुंच जाता है.

खनन क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर हो सकते हैं गम्भीर बीमारी के शिकार

News Pratyaksh | Updated : Wed 19th Mar 2025, 11:08 am
 जिले में दर्जनों पत्थर खदानें और क्रशर संचालित हैं. इन खदानों में काम करने वाले मजदूर पत्थर के डस्ट के कारण गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि वे अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें. इसी के मद्देनजर मंगलवार को दुमका में खान सुरक्षा महानिदेशालय की ओर से स्वास्थ्य सह जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया.खान सुरक्षा निदेशक, धनबाद साजेश कुमार, उपनिदेशक मिथलेश कुमार और दुमका उपायुक्त आंजनेयुलु दोड्डे की उपस्थित में जिले में चल रहे पत्थर खदानों में कार्यरत श्रमिकों के लिए एक स्वास्थ्य सह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. उपायुक्त ने कहा कि दुमका जिले में स्टोन चिप्स का कारोबार इकलौता उद्योग है. इससे स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है, ताकि इस क्षेत्र से मजदूरों के पलायन को कम किया जा सके.उन्होंने कहा कि प्राय: यह देखा जाता है कि खनन क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों के स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर पूरी एहतियात नहीं बरती जाती है. जिस वजह से श्रमिक बीमार हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी समस्या खनन क्षेत्र में धूल से होती है. धूल के कारण श्रमिकों को सिलिकोसिस, बहरापन, फेफड़े में इनफैक्शन की समस्या होती है. आप इससे बचाव से संबंधित सभी मापदंडों का पालन करें. उन्होंने कहा कि किसी भी श्रमिक को खान कार्यों में लगाने से पूर्व उसकी मेडिकल जांच करवा लें ताकि यह मालूम हो कि वह पहले से किसी बीमारी में ग्रसित तो नहीं है. अगर ऐसा है तो उससे डस्ट फ्री क्षेत्र में ही कार्य करवाएं.इसी क्रम में खान सुरक्षा निदेशक मध्य अंचल, धनबाद सागेश कुमार ने जांच शिविर में उपस्थित लोगों को महत्वपूर्ण बातों से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि यह चिंता का विषय है कि अब तक झारखंड में लगभग 50 सिलिकोसिस के मरीज मिल चुके हैं. हमें इस बीमारी को फैलने से रोकने का कार्य करना है. इसके लिए खनन क्षेत्र में पानी के छिड़काव की व्यवसाय रखें. पूरे खनन क्षेत्र में पानी के छिड़काव मात्र से ही 80% डस्ट को रोका जा सकता है. कैप, मास्क का उपयोग अवश्य करें.दुमका के सिविल सर्जन डाॅ बच्चा प्रसाद सिंह ने कहा कि दुमका के गोपीकांदर और शिकारीपाड़ा प्रखंड क्षेत्र के माइंस एरिया में लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति काफी खराब है. यह डस्ट की वजह से होता है. डस्ट में कार्य कर रहे लोगों को खांसी होना, छाती भारी होना, कान से सुनाई कम देना जैसी कई बीमारियां होती हैं. खनन कार्य में श्रमिकों को फुल बॉडी कवर करवा कर ही काम कराएं. सिविल सर्जन ने कहा कि प्रति तीन महीने में स्वास्थ्य शिविर लगाए जाएंगे और सभी श्रमिकों एवं ग्रामीणों का स्वास्थ्य जांच कराई जाएगी.

झारखंड निकाय चुनाव में ओबीसी को कितना आरक्षण :

News Pratyaksh | Updated : Thu 06th Mar 2025, 12:11 pm
झारखंड निकाय चुनाव में ओबीसी को कितना आरक्षण : आगामी झारखंड निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया जारी है. राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ संजय सिंह और सांख्यिकी विशेषज्ञ ने बुधवार को गढ़वा एवं पलामू के इलाके का दौरा किया है.आयोग की टीम ने गढ़वा नगर परिषद के इलाके में ओबीसी की स्थिति का जायजा लिया. वहीं, गुरुवार को टीम पलामू के मेदिनीनगर नगर निगम क्षेत्र का जायजा लेगी. आयोग की टीम यह पता लग रही है कि निकाय चुनाव को लेकर ओबीसी वन और ओबीसी 2 को को लेकर जो रिपोर्ट भेजी गई है, उसकी सच्चाई क्या है. रिपोर्ट में दर्ज प्रतिशत की जमीनी हकीकत क्या है. आयोग की टीम इसकी जांच कर रही है. आयोग की टीम ने गढ़वा से पलामू पहुंचने से पहले विश्रामपुर नगर परिषद का निरीक्षण किया था.आयोग के नोडल ऑफिसर डॉ संजय सिंह ने बताया कि लगभग 70 प्रतिशत सर्वे का काम पूरा हुआ है. पांच जिलों का दौरा हो चुका है. तीन महीने पहले से ही सभी जगह से रिपोर्ट मांगी गई है. टीम जमीनी हकीकत का पता लगा रहे हैं और इसमें पाई गई त्रुटियों में सुधारने की पहल की जा रही है. पलामू के पांच अलग-अलग इलाकों में निकाय चुनाव होना है. उन्होंने बताया कि निकाय चुनाव में ओबीसी के बारे में जानकारी ली जा रही है. जमीनी हकीकत जांच के बाद ही ओबीसी आरक्षण की स्थिति का पता चल पाएगा.